हमेशा
तुम्हें क्या लगता है, जी पाता हूँ मैं
तुमसे दुर रहकर
ऐसा जरूर दिखता होगा मेरे बर्ताव से
ऐसा जब भी तुम्हें लगे, तो सोचना कुछ इन इशारों पर
कभी फूलों की महक, फुलों के बगैर हो सकती है
खाने का स्वाद बिना नमक हो सकता है
या फिर, कृष्ण कभी राधा से परे होकर पुरा हो सकता है
चेहरे पे मुस्कुराहट, ख़ुशी की महक
इसी वजह से है क्युँकि
तुम मेरे साथ हो, हमेशा
- मधुमय मृदगंध //११ सितंबर १९
तुम्हें क्या लगता है, जी पाता हूँ मैं
तुमसे दुर रहकर
ऐसा जरूर दिखता होगा मेरे बर्ताव से
ऐसा जब भी तुम्हें लगे, तो सोचना कुछ इन इशारों पर
कभी फूलों की महक, फुलों के बगैर हो सकती है
खाने का स्वाद बिना नमक हो सकता है
या फिर, कृष्ण कभी राधा से परे होकर पुरा हो सकता है
चेहरे पे मुस्कुराहट, ख़ुशी की महक
इसी वजह से है क्युँकि
तुम मेरे साथ हो, हमेशा
- मधुमय मृदगंध //११ सितंबर १९
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